10 प्रतिशत से अधिक वयस्क मानसिक समस्याओं के शिकार

10 प्रतिशत से अधिक वयस्क मानसिक समस्याओं के शिकार

सेहतराग टीम

भारत में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित परेशान‍ियां ज्‍यादा लोगों को अपनी चपेट में लेने लगी हैं। सरकार के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। सरकार का दावा है कि देश में वयस्‍क आबादी का 10 फीसदी हिस्‍सा मानसिक समस्‍या से परेशान है। खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि देश में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 10 प्रतिशत लोगों को मानसिक समस्या से ग्रस्त पाया गया है।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि सरकार ने 2016 में निमहन्स, बेंगलोर के माध्यम से भारत का राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएमएचएस) कराया था। प्रश्‍नकाल में एक सवाल का जवाब देते हुए डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने कहा कि ‘सर्वेक्षण के अनुसार 18 साल से अधिक उम्र के (वयस्कों) लोगों में मानसिक समस्याओं के मामले 10.6 प्रतिशत हैं। सर्वेक्षण में सामने आया कि जिन 12 राज्यों में यह अध्ययन किया गया उनमें मणिपुर को छोड़कर सभी में कम से कम एक मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल है।’

दरअसल मानसिक समस्‍याओं को लेकर समाज में इतनी रू़ढ़ीवादी सोच है कि उसके कारण लोग इसका इलाज ही नहीं कराना चाहते। जैसे ही ये पता चलता है कि किसी व्‍यक्ति ने अपनी किसी मानसिक समस्‍या के लिए डॉक्‍टर की सलाह ली है समाज उसे पागलपन का शिकार करार देने में जरा भी देर नहीं करता। इसके बाद संबंधित व्‍यक्ति की पूरी सामाजिक जिंदगी खराब हो जाती है। यही वजह से बड़ी संख्‍या में लोग इलाज कराने ही नहीं पहुंचते जबकि संभव है कि इस 10 फीसदी आबादी का 90 फीसदी हिस्‍सा शायद सामान्‍य काउं‍सिलिंग से ही ठीक हो जाए और उसे और किसी तरह के इलाज की जरूरत ही न पड़े।

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